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कानपुर ।गंगा और पांडु नदी में गिर रहे आठ नालो को अब तक टैप नहीं किया जा सका है। इनकी टैपिंग अब आईआईटी रुकड़ की हरी झंडी पर टिकी हुई है नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने जल निगम द्वारा तैयार किए गए 63 करोड़ के प्रोजेक्ट को परखने की जिम्मेदारी आईआईटी रुकनी को दी है इसकी टीम अगले हफ्ते कानपुर आएगी जल निगम ने 63 करोड़ों का जो प्रोजेक्ट तैयार किया था उसे पहले टेस्ट मिशन फॉर क्लीन गंगा को भेजा गया था वहां से इसकी संस्तुति हो गई और प्रोजेक्ट एनएमसीजी पहुंच गया।
6 सालों से ऐसे घूम रहा है प्रोजेक्ट
2018 से पहले बार तैयार किया था डाइवर्ट करने का प्रस्ताव ।
2019 में कैंट के तीन नालो समेत दो और नाले शामिल हुए ।
2020 में तैयार की गई 48 करोड़ की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट ।
30 जून 2021 में को संशोधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट फिर भेजी ।
26 जुलाई 2021 को पांडव नदी में गिरने वाले नाले में शामिल 61 करोड का फिर से प्रोजेक्ट तैयार करके शासन को भेजा।
3 करोड़ सिर्फ बायोरेमेडियल ट्रीटमेंट के लिए हो सके मंजूर।
63 करोड़ का पुनः संशोधित प्रस्ताव स्टीमेट समिति भेजा गया।
6 साल में 6 बार हो चुका नालों की टाइपिंग प्रोजेक्ट का परीक्षण।
कानपुर के सीसामऊ नाले के बाद सो गयी मशीनरी।
पूर्व के प्रोजेक्ट में 5 नालों की होनी थी टाइपिंग परियोजना प्रबंधक गंगा प्रदूषण नियंत्रण यूनिट के ज्ञानेंद्र चौधरी ने बताया एनएमसीजी की थर्ड पार्टी आईआईटी की टीम अगले हफ्ते तक आने की सूचना है टीम सारे नालों को देखेगी प्रोजेक्ट को पड़ेगी फिर अपनी रिपोर्ट एनएमसीजी को देगी हम लोगों ने अपनी तैयारी कर रखी है।
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