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उत्तर प्रदेश, प्रयागराज ब्यूर
प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध के लिए अग्रिम जमानत पर विचार किया जा सकता है बशर्ते प्रथम दृष्टया इस एक्ट के तहत अपराध होना साबित ना होता हो कोर्ट ने कहा कि एससी एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत सिर्फ स्पेशल कोर्ट को ही जमानत पर विचार करने का अधिकार है एक्ट की धारा 14 के तहत सिर्फ स्पेशल को भी एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले पर विचार कर सकती है जबकि धारा 44 में दिए गए जमानत का आज से अग्रिम जमानत से भी है इसी प्रकार कहना है कि एससी एसटी एक्ट के तहत अग्रिम जमानत अर्जी सीआरपीसी की धारा 438 के तहत विचारणीय नहीं है बल्कि हाई कोर्ट में एससी एसटी एक्ट की धारा 441 में अपील दाखिल की जा सकती है यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने कैलाश गायत्री देवी एवं सुनील दत्त शर्मा की की अग्रिम जमानत अर्जियों पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है यात्रियों के अधिवक्ताओं में पृथ्वीराज चौहान बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि एससी एसटी एक्ट के अपराध में अग्रिम जमानत पोषणीय है यदि इस एक्ट के तहत की गई शिकायत में प्रथम दृष्टया एससी एसटी एक्ट की अपराध नहीं बनता है तो अग्रिम जमानत अर्जी पर विचार किया जा सकता है कोर्ट ने कहा कि एससी एसटी एक्ट में पीड़ित और गवाहों का अधिकार सीआरपीसी के प्रभावों की अपेक्षा अधिक ऊंचे पायदान पर है अपराध विशेष रूप से स्पेशल कोर्ट में ही विचारणीय है।
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